राहुल गांधी और फ़र्ज़ी जातीय गणना का सच. . . मुस्लिम कलाल

SERAJ ANWAR

कल यानी शनिवार को प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पटना दौरे पर ऐसी बात कह दी है जिससे बिहार में हुए जाति आधारित गणना पर गम्भीर सवाल खड़ा हो गया है.इन्होंने गणना को फ़र्ज़ी क़रार दे दिया और कह दिया कि जातीय गणना के नाम पर बिहार की सरकार ने राज्य की जनता को बेवकूफ बनाने का काम किया है.इसमें कुछ सच्चाई भी दिखती है.

इस झोल को समझिए

आंकड़ों मुताबिक, बिहार में मुसलमानों की आबादी 2.31 करोड़ हो गई है.यानी 17.7 फ़ीसद.यह आंकड़ा ग़लत है.मुसलमानों की एक जाति है कलाल/इराक़ी.इसकी गिनती नहीं हुई है.जबकि मुसलमानों की तीन दर्जन जातियों की संख्या अलग से दर्शाया गया है.कलाल जाति की गिनती होने पर राज्य में मुस्लिम आबादी का 18 प्रतिशत से अधिक हो सकता है,19 फ़ीसद के लगभग.कलाल/इराक़ी बिरादरी के लोगों का दावा है कि उनकी तादाद कम से कम 15 लाख है यानी 1.5 फीसद.अगर इसे 17.70 में जोड़ दें तो बिहार में मुसलमानों की कुल आबादी 19.20 फीसद हो जाएगी.

हिन्दू बनिया समूह में क्यों रखा?

इस जाति को 122 कोड के तहत हिन्दू बनिया समूह में रखा गया है लेकिन असल आबादी इसकी कितनी है सरकार की ओर से अबतक नहीं बतायी गयी है.आरोप है कि कलाल की एक बड़ी आबादी की अलग से गिनती न कर कुल मुस्लिम आबादी को कम दिखाने की साज़िश है.विधानसभा से लेकर विधान परिषद तक इस मुद्दे को उठाया गया है लेकिन अभी तक गणना में सुधार नहीं हुआ है.राहुल गांधी ने कल गणना को ही फ़र्ज़ी बता दिया तो कलाल जाति की उम्मीद भी जगी है कि वह हिन्दू से मुसलमान हो जाएगा.उसकी गिनती हिन्दू जाति से निकाल कर मुसलमान बिरादरी में होगी.एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ नीतीश सरकार के सबसे ताक़तवर मंत्री विजय चौधरी का कहना है कि अगर किसी को इसपर(जातीय गणना)संदेह है तो वह बता दे सरकार तुरंत इसकी जांच कराएगी.इसको लेकर आजतक एक भी अप्पति दर्ज नहीं कराई गई है.

मामला यूं आया सामने

सर्वेक्षण में कुल 215 जातियों की गणना की गई है.
जातीय गणना रिपोर्ट में गिनी गई धार्मिक जातियों की सूची दी गई है.सूची के क्रमांक 122 में ‘बनिया’ और उसकी उपजातियों के नाम इस तरह दिए गए हैं-
बनिया (सूड़ी, मोदक/मायरा, रोनियार, पनसारी, मोदी, कसेरा, केशरवानी, ठठेरा, कलवार (कलाल/एराकी), ब्याहुत कलवार), कमलापुरी वैश्य, माहुरीवैश्य, बंगी वैश्य (बंगाली बनिया), बर्नवाल, अग्रहरी वैश्य, वैश्य पोद्दार, कसौधन, गंधबनिक, बाथम वैश्य, गोलदार (पूर्वी/पश्चिमी चम्पारण हेतु)
इन तमाम जातियों की आबादी 30 लाख 29 हजार 912 बताई गई है.जब कलाल/एराकी जाति के लागों ने अलग से अपनी गिनती नहीं देखी तब वे चौंक पड़े.दरअसल कलाल/एराकी आबादी को हिन्दू जाति ‘कलवार’ में merge कर दिया गया.इससे उनकी धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान ही खत्म कर दी गई.

पिछड़ी जाति में शुमार

भारत सरकार के बिहार राज्य की फेहरिस्त में कलाल/कलवार/कलार जाति ओबीसी के रूप में 124 बी पर दर्ज है.वहीं, बिहार सरकार की ओबीसी लिस्ट में कलाल या कलाल के नाम से 52 बी पर दर्ज है.सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता हरीस अहमद मिनहाज कहते हैं, ‘स्वतंत्र भारत में आज तक इस समाज का कोई व्यक्ति न तो संसद सदस्य बना और ही विधायक, विधान पार्षद, मेयर, जिला परिषद या किसी बोर्ड-आयोग का अध्यक्ष हुआ.यहां तक कि सदस्य भी नहीं हुआ.राजनीतिक क्षितिज पर कलाल/इराकी समाज शून्य है.शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति जीर्ण-शीर्ण है.वे हर रोज कुआं खोदो और पानी पियो की तर्ज पर जिंदगी गुजार रहे हैं.

अख़्तरुल ईमान ने पहले किया पर्दाफ़ाश

एआईएमआईएम से अमौर के विधायक अखतरुल ईमान कहते हैं कि सरकार ने साजिश के तहत कलाल/इराकी बिरादरी के आंकड़ों को छिपा लिया है। वो कहते हैं, ‘जम्हूरियत में एक खास वर्ग की आबादी को घटा कर पेश किया जाता है ताकि उस वर्ग को अपनी सही ताकत का एहसास न हो।’अखतरुल ईमान ने सरकार से कलाल/इराकी बिरादरी के साथ हुई गलती को ठीक करने की मांग की.गया के युवा वार्ड पार्षद नैयर अहमद कहते हैं, ‘कलाल/इराक़ी बिरादरी के साथ पूरी तरह नाइंसाफी बरती गई है.इस बिरादरी का सर्वेक्षण में नामोनिशान मिट गया है जबकि अंसारी के बाद यह दूसरी बड़ी मुस्लिम आबादी है.सरकार को चाहिए कि कलाल/इराकी जाति को मुस्लिम धर्म के कॉलम में रखते हुए गणना का आंकड़ा प्रकाशित करे.इराक़ी फलाह सोसाइटी के महासचिव हसरत हुसैन ने बताया कि राहुल गांधी द्वारा जाति गणना को फ़र्ज़ी बताये जाने के बाद उम्मीद जगी है कि इसमें सुधार किया जाएगा और कलाल बिरादरी की गिनती अलग से होगी.

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