GAYA:
SERAJ ANWAR
बेला में खेला चालू आहे.उपचुनाव के अब जबकि दस दिन मात्र बचे हैं तो राजद को करारा झटका लगा है.राजद के युवा नेता शीतल प्रसाद यादव ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है.माना जा रहा है कि वह जदयू जॉइन् करेंगे.शीतल गया ज़िला परिषद के उपाध्यक्ष हैं और क़द्दावर नेताओं में उनका शुमार होता है.सभी समुदाय में उनकी लोकप्रियता है,उनका बड़ा जनाधार है.उनके इस्तीफ़ा बेलागंज उपचुनाव का समां बदल सकता है.
इस्तीफ़ा की यह है वजह
बेलागंज से शीतल यादव की भाभी मनोरमा देवी जदयू की उम्मीदवार हैं.मनोरमा बिंदेश्वरी प्रसाद उर्फ़ बिन्दी यादव की पत्नी हैं.बिन्दी यादव ज़िला परिषद के चेयरमैन थे,कोरोना से उनका निधन हो गया.शीतल यादव बिन्दी यादव के अनुज हैं.कल तक शीतल यादव राजद में थे.बेला से सांसद सुरेन्द्र प्रसाद यादव के बेटे डॉ.विश्वनाथ यादव राजद के उम्मीदवार हैं.राजद में रहते हुए शीतल यादव के लिए दुविधा की स्तिथि बनी हुई थी.एक तरफ़ सुरेन्द्र प्रसाद यादव उन पर विश्वास करने को तैयार नहीं थे तो दूसरी तरफ राजद के लिए प्रचार करने पर परिवार टूटने का ख़तरा था.शीतल यादव चार दिन से घर में बंद थे.न भाभी के लिए प्रचार में निकले न राजद का प्रचार किया.शीतल के बिना मनोरमा चुनाव में कमज़ोर पड़ रही थीं.
परिवार और जदयू ने साधा सम्पर्क
दिवाली पर शीतल यादव का परिवार जुटा.सूत्र बताते हैं शीतल के यहां कल भूले-बिसरे परिवार ने डेरा डाल दिया.बिन्दी यादव को याद किया गया.हिला-हवाला दिया गया.नरम-गरम बातें हुईं.फिर सबने एक साथ दिवाली मनाई,पटाखें फूटे और सब नॉर्मल हो गया.इस्तीफ़ा की पटकथा कल ही लिखी गयी.तय हुआ सुबह उठ कर पहला काम इस्तीफ़ा का होगा.राजद पर आरोप परिवारवाद का लगाया गया.टिकट वितरण को सही नहीं माना गया.इसी बीच एक बेलागंज में कैम्प कर रहे एक मंत्री ने शीतल यादव से सम्पर्क साधा,आलाकमान से भी बात करायी गयी और मन मसोस कर शीतल यादव ने आज राजद छोड़ दिया.
मीसा और तेजस्वी के हो गये थे क़रीब
शीतल यादव ने लोक सभा चुनाव के समय तेजस्वी यादव के हाथों राष्ट्रीय जनता दल की सदस्यता ग्रहण की थी.बाराचट्टी में चुनावी सभा थी,उसी मंच पर शीतल ने भाभी मनोरमा देवी से अलग राजनीतिक राह पकड़ कर राजद जॉइन कर लिया था.मनोरमा जदयू में हैं.जदयू से एमएलसी रही हैं.पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने मनोरमा देवी को अतरी से टिकट दिया था.चुनाव जीत नहीं सकीं थीं.शीतल और मनोरमा के बीच राजनैतिक रूप से मतभेद था.दूरियां बढ़ गयीं थीं.मनोरमा के नामांकन में शीतल शामिल नहीं हुए थे और परिवार का लिहाज़ करते हुए राजद प्रत्याशी विश्वनाथ यादव के आशीर्वाद सभा से भी दूर रहे थे.इस्तीफ़ा देने के बाद शीतल ने कहा कि मनोरमा जी हमारे परिवार की बड़ी हैं,भैया के नहीं रहने पर वही हमारी गार्जियन हैं. हमारा रिश्ता उनसे हमेशा था और हमेशा रहेगा.