SERAJ Anwar/GAYA
धनतेरस के साथ आज दीपोत्सव की शुरुआत हो गई है.खरीदारी के लिए आज सुबह 9 से रात 8:55 तक दो मुहूर्त रहेंगे.इनमें हर तरह की खरीदारी, निवेश और नई शुरुआत कर सकते हैं.लेकिन,गया में दीपावली से बड़ा त्योहार लोकतंत्र का चल रहा है.ज़िले के बेलागंज और इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हो रहा है.13 नवम्बर को मतदान है.चुनाव प्रचार तेज़ है.चुनाव अब रंग पकड़ने लगा है.बिहार में चार सीट पर उपचुनाव होना है.इसमें बेलागंज हॉट सीट बनी हुई है. ऐसे तो प्रमुख दलों से चार प्रत्याशी मैदान में हैं,अंतिम लड़ाई राजद बनाम जदयू ही होगी.विरासत बचाने और विरासत छीनने की लड़ाई है यह.
सुरेन्द्र प्रसाद यादव ने बेला को बदला
डॉ.सुरेन्द्र प्रसाद यादव के जहानाबाद से सांसद निर्वाचित होने पर बेलागंज विधानसभा सीट ख़ाली हुई है.यह उनकी परम्परागत सीट है.34 साल इस सीट को इन्होंने सींचा है.अपनी बगिया को राजद सांसद यूं ही नहीं छोड़ देंगे.इसको बचाने के लिए हर क़दम उठायेंगे.यह उनकी विरासत है और इस विरासत को वह अपने सुपुत्र डॉ.विश्वनाथ यादव को सौंप देना चाहते हैं.इस सीट पर पहला हक़ उनका ही बनता है.लोग बताते हैं 1990 के दशक में बेलागंज में जब कुछ नहीं था,जंगल-झाड़ के सिवा तो वहां सुरेन्द्र प्रसाद यादव थे.बदलाव के एक संकल्प के साथ वह चुनाव लड़ने चले गये.चुनाव अपने दम पर जीता भी.लोगों ने उस वक़्त सुरेन्द्र प्रसाद यादव को स्वीकार किया जब दबंग,बाहुबली के नाम से वह जाने जाते थे.आज का सुरेन्द्र यादव में काफी बदलाव है.जनता से उनका बेहद लगाव है.जनता ने भी प्यार के बदले मगध सम्राट की उपाधि दे दी है.मगध सम्राट के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का विषय है.
विश्वनाथ इकलौते Phd उम्मीदवार
राष्ट्रीय जनता दल ने उनके बेटे डॉ.विश्वनाथ यादव को टिकट दिया है.चारों विधानसभा में हो रहे उपचुनाव में विश्वनाथ इकलौते Phd उम्मीदवार हैं यानी काफी पढ़े-लिखे हैं.युवा हैं,ऊर्जावान हैं.90 के दशक में सुरेन्द्र यादव भी ऐसे ही ऊर्जा के साथ बेलागंज आये थे और बेलागंज को बदल कर रख दिया यह बात स्थानीय लोग बताते हैं.बेलागंज में बिजली है,सड़क है,सामुदायिक भवन है,पुल-पुलिया बना है.नक्सलवाद ख़त्म हुआ,रणवीर सेना का भी अब कोई वजूद नहीं है.उनके समर्थक कहते हैं एक विधायक और क्या कर सकता है.बेलागंज अब वह बेलागंज नहीं है.विश्वनाथ आज से नहीं,राजनीति में कई सालों से लगे हैं.बेलागंज को ही उन्होंने कर्मभूमि बनाया.हर बेटे की ख़्वाहिश होती है पिता कि विरासत को आगे बढ़ाये.सो,विश्वनाथ अपने दम पर इस चुनावी रण को जीतने में लगे हैं.अक्सर अपनी टीम के साथ अकेले चुनाव प्रचार करते हैं.पिता सुरेन्द्र यादव कभी-कभी साथ नज़र आते हैं.लेकिन,विश्वनाथ के चुनावी रणनीतिकार सुरेन्द्र यादव ही हैं.विधायक रहते जहानाबाद जीत गये.एक बार और जहानबाद से सांसद हुए मगर बेलागंज को उन्होंने छोड़ा नहीं.इस बार कैसे छोड़ देंगे.
जदयू प्रत्याशी मनोरमा देवी,जन सुराज प्रत्याशी मोहम्मद अमजद और AIMIM प्रत्याशी ज़ामिन अली
लड़ाई थोड़ी टफ है
लड़ाई थोड़ी टफ है.विश्वनाथ के सामने जदयू सेमनोरमा देवी है.मनोरमा देवी की ख़ूबी यह है कि ज़िले में उनकी कोई परम्परागत सीट नहीं है.वह अतरी से भी चुनाव लड़ती हैं और बेलागंज से भी.किसी एक सीट को उन्होंने अपना राजनीतिक कर्मभूमि नहीं बनाया है.ज़िला परिषद के दिवंगत चेयरमैन बिंदेश्वरी प्रसाद उर्फ़ बिन्दी यादव की पत्नी हैं.बिन्दी यादव व्यावहारिक नेता थे.मनोरमा की पूरी कमान उनके सुपुत्र रॉकी यादव के हाथ में है.रॉकी बाज़ी पलटने में लगे हैं.जदयू से यह सीट किसी मुस्लिम को जाना था.नीतीश कुमार के दो मंत्रियों में ठन गयी और सीट मनोरमा देवी को चली गयी.मनोरमा देवी को जिस मंत्री ने टिकट दिलाया वह बेलागंज में खूंटा गाड़ कर बैठे हैं.जन सुराज पार्टी ने काफ़ी फ़ज़ीहत के बाद मोहम्मद अमजद को ही उम्मीदवार बनाया.अमजद विश्वास-अविश्वास के बीच झूल रहे हैं.एक बार चुनाव के दौरान अमजद सुरेन्द्र प्रसाद यादव की गाड़ी में बैठ गये थे.अपने नकारात्मक पहलू से ही वह जूझते नज़र आ रहे हैं.असद उद्दीन ओवैसी ने यहां से ज़ामिन अली को टिकट दिया है.ज़ामिन अमजद हसन सोलरा के बेटे हैं.बेला में पूरा खेला मुस्लिम वोट पर है
नोट:अगली क़िस्त में पूरा समीकरण समझायेंगे और कुछ नेताओं का इंटर्व्यू भी,पढ़ते रहें manthantoday.in और इसे subscribe भी कर लें.हमारी इस रिपोर्ट को samay manthan फ़ेसबुक पेज के अलावा samay manthan what’sApp न्यूज़ ग्रूप में भी पढ़ सकते हैं.