शाद हुसैन
Patna:जनता दल राष्ट्रवादी ने कृषि और सीएए क़ानून को काला क़ानून क़रार देते हुए इसे हटाने की मांग की है.जेडीआर के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक़ रहमान ने सरकार की मंशा से सवाल उठाते हुए कहा कि किसान भाईयों को किसी भी स्तिथि-परस्तिथि में सरकार के प्रस्ताव को नहीं मानना चाहिए.अशफाक़ कहते हैं कि आख़िर क्या वजह है कि सरकार डेढ़ साल तक कृषि क़ानूनों को स्टे करने पर तैयार है?इसके मायने हैं कि क़ानून में भारी गड़बड़ी है.यदि क़ानून सही होता तो सरकार इसे डेढ़ साल तक क्यों रोकती?
कृषि और सीएए दोनों को एक साथ ख़त्म कर देना चाहिए.दोनों जनहित में नहीं है और देश के लिए काला क़ानून है.
ज़ाहिर सी बात है सरकार भी इसे ग़लत ही मान रही है.दरअसल,सरकार की नीयत में खोट है.अभी डेढ़ साल तक क़ानूनों पर रोक लगा कर आंदोलन को ख़त्म कर देना चाहती है और जब मामला पूरी तरह से ठंडा पड़ जायेगा तो फिर इसे लागू कर दिया जाएगा.अशफाक़ रहमान का कहना है कि यदि सरकार क़ानून को ग़लत मान रही है तो इसे हटाईए.इसी तरह नागरिकता संशोधन क़ानून जो धर्म के आधार पर बनाया गया,ग़ैर संवैधानिक है.उसे भी हटाया जाये.कृषि और सीएए दोनों को एक साथ ख़त्म कर देना चाहिए.दोनों जनहित में नहीं है और देश के लिए काला क़ानून है.
मुट्ठी भर लोगों को ख़ुश रखने के लिए किसानों की आहुति दी जा रही है.इस ठंड में अन्नदाता खुले आकाश के नीचे महीनों से बैठे हैं,कई लोग जान भी गंवा चुके हैं.
अशफाक़ कहते हैं कि मौजूदा केंद्र सरकार को जनता का कोई खौफ़ और ख़्याल नहीं है.इनको लगता है कि कुछ भी करेंगे अगली बार चुन कर फिर आ ही जायेंगे.कहीं ये ईवीएम का खेल तो नहीं?मुट्ठी भर लोगों को ख़ुश रखने के लिए किसानों की आहुति दी जा रही है.इस ठंड में अन्नदाता खुले आकाश के नीचे महीनों से बैठे हैं,कई लोग जान भी गंवा चुके हैं.ऐसा ही नागरिकता क़ानून आंदोलन के वक़्त भी हुआ था.जनता दल राष्ट्रवादी किसान आंदोलन के साथ है.किसी भी स्तिथि-परस्तिथि में कृषि और सीएए क़ानून मंज़ूर नहीं