मंथन डेस्क

PATNA:बिहार में नगर निकाय चुनाव के मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई दो हफ्ते के लिए टल गई है. सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते के वक्त की मांग की है. कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने आरक्षण के लिए जरूरी अध्ययन किए बिना ही चुनाव कराए हैं. सुप्रीम कोर्ट पहले ही 28 अक्टूबर को अति पिछड़ा वर्ग के राजनीतिक पिछड़ेपन को निर्धारित करने के बनाये डेडिकेटेड कमीशन के काम पर रोक लगा चुका है.

पटना हाईकोर्ट की तरफ से निकाय चुनाव पर रोक लगाने के बाद बिहार सरकार की तरफ से अक्टूबर में अति पिछड़ा वर्ग आयोग गठित किया गया.दो महीने के भीतर कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को दी.इससे पहले ही मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया.सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को डेडिकेडेट मानने से इनकार कर दिया है.सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी सरकार उसी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव कराने की अनुशंसा कर दी.अनुशंसा मिलते ही निर्वाचन आयोग ने नए डेट की भी घोषणा कर दी गई है और चुनाव करा लिए गए.रिपोर्ट के बाद भी केवल चुनाव की डेट बदली, इसके अलावा कुछ नहीं बदला

सुप्रीम कोर्ट में आज निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर अहम सुनवाई होनी थी.जिसमें बिहार में निकाय चुनाव के लिए सरकार की ओर से गठित अति पिछड़ा वर्ग आयोग की योग्यता पर फैसला होना वाला था.सभी चुने गए पार्षद, मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षदों की धड़कनें बढ़ी हुई थीं. हारने वाले चुनाव रद्द होने की दुआ मांग रहे थे.अब यह मामला दो हफ्ता के लिए टल गया है.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने आरक्षण के लिए ज़रूरी अध्ययन किये बिना चुनाव कराए हैं. सुप्रीम कोर्ट पहले ही 28 अक्टूबर को अति पिछड़ा वर्ग के राजनीतिक पिछड़ेपन को निर्धारित करने के बनाये डेडिकेटेड कमीशन के काम पर रोक लगा चुका है. ऐसे में उसी कमीशन की रिपोर्ट को आधार बनाकर चुनाव आयोग का नोटिफिकेशन जारी करना अदालत की अवमानना है.

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