SERAJ ANWAR/MANTHAN TODAY

दृश्य नम्बर-1
मुसलमानों में सियासी समझ कम है,अपने स्टेज को दूसरे के हवाले कर देते हैं.पटना के गांधी मैदान में ‘दस्तूर बचाओ-देश बचाओ’में यही हुआ.इमारत ए शरिया के सजाये मंच को महागठबंधन लूट ले गया.यही नहीं पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने जो तमाशा किया वो अलग.हालांकि,इसमें पप्पू यादव का क़ुसूर नहीं था.जब आप अपनी क़यादत को छोड़ कर standing ovation देंगे तो पप्पू यादव जैसे नेता मंच लूटेगा ही.कन्हैया कुमार भी महफील लूटने से बाज़ नहीं आये थे.

दृश्य नम्बर-2
आज वोटर वेरिफ़िकेशन के विरोध में महागठबंधन ने बिहार बंद बुलाया था.लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता भी पटना पहुंचे.इनकम टैक्स से गाड़ी पर सवार हो कर विरोध दर्ज कराने चुनाव आयोग दफ़्तर तक मार्च किया.रथ पर बिहार विधानसभा में नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव,माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य सवार थे.पप्पू यादव यहां भी प्रयास करते रहे कि रथ पर राहुल गांधी के साथ सवार रहे.मगर भारी फ़ज़ीहत उठानी पड़ी.पप्पू यादव को रथ पर चढ़ने नहीं दिया गया.साफ़ कहा गया महफील हमारी और लूट ले जाओगे तुम.ऐसा नहीं होगा.पप्पू यादव मुंह ताकते रह गये.कन्हैया को भी रथ पर जगह नहीं मिली.इमारत ए शरिया वाला ख़ुमार तुरंत काफ़ूर हो गया.यह होती है राजनीतिक समझ.यदि पप्पू यादव को गाड़ी पर जगह मिल जाती तो महागठबंधन की लय बिगड़ जाती.राहुल-तेजस्वी से अधिक पप्पू यादव मंच लूट लेते.क्या मुसलमान सियासत की इस बारीकी को कभी समझ पायेगा?