पटना/कमला कान्त पांडेय

करोड़ों रुपए के वित्तीय अनियमितता के मामले में आरोपों से घिरे मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की अग्रिम जमानत याचिका निगरानी कोर्ट से ख़ारिज हो गयी है. इसके साथ ही अब कुलपति पर गिरफ़्तारी की तलवार लटक गयी है. इससे पहले गुरुवार को कुलपति विशेष निगरानी इकाई के सामने हाजिर हुए थे.


गुरुवार को उनसे स्पेशल निगरानी इकाई के अधिकारियों ने जब पूछताछ शुरू की तब वो संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए. मिली जानकारी के अनुसार डेढ़ घंटे की पूछताछ में मगध विश्वविद्यालय के कुलपति से मामले का अनुसंधान कर रहे अनुसंधानकर्ता डीएसपी सुधीर कुमार के नेतृत्व में पूछताछ हुई.


विशेष निगरानी इकाई के अधिकारियों ने उनसे सबसे पहला सवाल विश्वविद्यालय के कुलपति रहते 30 करोड़ से अधिक की वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित पूछा. इसके अलावा ओएमआर शीट की खरीदारी और ई लाइब्रेरी समेत दूसरे मदों के लिए किए गए भुगतान, मगध विश्वविद्यालय में प्रतिनियुक्त गार्डों के बारे में किए गए भुगतान के बारे में भी जानकारी ली गई. कुलपति से यह पूछा गया कि जरूरत नहीं होने के बावजूद खरीद का आर्डर देने और बगैर जांच पड़ताल के ही राशि का भुगतान करने को लेकर ऐसी क्या जरूरत आ गयी थी.


मगध विश्वविद्यालय के कुलपति पूछे गए सवालों का सही ढंग से जवाब नहीं दे पा रहे थे. कुलपति निगरानी विभाग के अधिकारियों को अपने जवाब से संतुष्ट नहीं कर पाए. कुलपति से यह भी पूछा गया कि उनके घर से बरामद 95 लाख रुपए नगद के अलावा 5 लाख की विदेशी करेंसी समेत अन्य जायदाद के स्रोत क्या रहे हैं. पिछले कुछ सालों में कुलपति द्वारा खरीदी गई परिसंपत्तियों के स्त्रोत के बारे में भी विशेष निगरानी इकाई के अधिकारियों ने जानकारी मांगी लेकिन कुलपति कोई स्पष्ट और संतोषजनक जवाब देने में असफल रहे.


स्पेशल निगरानी इकाई के अधिकारियों की मानें तो कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को दोबारा पूछताछ के लिए तलब किया जाएगा. गुरुवार को उनके द्वारा जो जवाब दिया गया है उसका अध्ययन करने के बाद विशेष निगरानी की टीम उन्हें पूछताछ के लिए फिर से बुलाएगी. विशेष निगरानी इकाई ने डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद पर मगध विश्विद्यालत के कुलपति रहते 30 करोड़ से अधिक की गड़बड़ी को लेकर केस दर्ज करने के बाद 17 नवंबर को उनके तीन ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी.


उन्हें पिछले 3 जनवरी को पूछताछ के लिए बुलाया गया था लेकिन वह पहली नोटिस के बाद पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हुए. बाद में दूसरी नोटिस जारी करते हुए उन्हें 20 जनवरी को पेश होने के लिए कहा गया था. इस पूरे मामले में मगध विश्वविद्यालय के चार अधिकारी विशेष निगरानी इकाई द्वारा पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं. अब आने वाले दिनों में कुलपति की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

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