23 Oct 2025, Thu

बिहार बंद से जनता को क्या मिला?यह आंदोलन नहीं खानापूर्ति है महाशय!

महागठबंधन साफ़-साफ़ लोगों से आह्वान नहीं कर रहा है कि यदि दिक़्क़त पेश आ रही है तो फार्म ना भरें. विपक्ष तीखा प्रहार नहीं कर पा रहा है कि चुनाव आयोग को अपना फैसला वापस लेना पड़ेगा.वह सुप्रीम कोर्ट भी जा रहा है और बिहार बंद भी करा रहा है.सुप्रीम कोर्ट जाने की बजाय आंदोलन का रास्ता अपनाना चाहिए था.

SERAJ ANWAR/MANTHAN TODAY

वोटर वेरिफ़िकेशन के विरोध में बिहार बंद एक राजनीतिक स्टंट से ज़्यादा नहीं था.जनता को यह दिखाने के लिए कि हम आपकी पीड़ा में साथ हैं.बंद तीखा नहीं था,आक्रामक आंदोलन बनाने की विपक्ष की मंशा भी नहीं है.बंद से मिला क्या?कल से मतदाताओं की समस्या दूर हो जायेगी?चुनाव आयोग ने जो रायता फैलाया है,उसे समेट लिया जायेगा?सुबह में चुनाव आयोग विज्ञापन प्रकाशित कराता है और शाम में पश्चाताप करता है.उसे ख़ुद नहीं समझ आ रहा कि कौन सा काग़ज़ मांगे और कौन सा नहीं?जनता इसको लेकर परेशान है.भारतीय जनता पार्टी झूठा आंकड़ा पेश कर रही है.इतने लोगों ने फार्म भर कर वापस कर दिया.कहां वापस किया?जब BLO से भेंट ही नहीं हो पा रही है तो फार्म लेने और जमा करने का सवाल कहां हैं?

विपक्ष सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है

विपक्ष सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है.बिहार बंद उसी की एक कड़ी थी.महागठबंधन साफ़-साफ़ लोगों से आह्वान नहीं कर रहा है कि यदि दिक़्क़त पेश आ रही है तो फार्म ना भरें. विपक्ष तीखा प्रहार नहीं कर पा रहा है कि चुनाव आयोग को अपना फैसला वापस लेना पड़ेगा.वह सुप्रीम कोर्ट भी जा रहा है और बिहार बंद भी करा रहा है.सुप्रीम कोर्ट जाने की बजाय आंदोलन का रास्ता अपनाना चाहिए था.बंद को और तीखा बनाना था.चुनाव आयोग के अधिकारियों से मिले बिना ही राहुल गांधी दिल्ली वापस लौट गये और तेजस्वी घर चले आये.

शिवानंद तिवारी की सलाह को नहीं माना

महागठबंधन के नेता हैं शिवानंद तिवारी.सुबह में इन्होंने राजद और कांग्रेस के नेताओं को बेहतरीन सलाह दी थी.राहुल जी और तेजस्वी दोनों आज विरोध प्रदर्शन में साथ रहेंगे. वे चुनाव आयोग के कार्यालय तक जायेंगे. उन दोनों से मेरा एक नम्र सुझाव है. अगर आप दोनों चुनाव आयोग के गेट तक पहुंच गये तो वहां धरना दे दीजिए. संभव है पुलिस वहां आपको पहुंचने नहीं दे. वैसी हालत में जहां पुलिस रोकती है, वहीं धरना पर बैठ जाइए. पुलिस आप लोगों को हिरासत में लेती है तो ज़मानत मत लीजिये. अगर ऐसा हो जाता है तो देश का माहौल बदल जाएगा.

मोदी मार्ग पर चल रहा महागठबंधन

लेकिन,अहम सवाल यह है कि विपक्ष देश का माहौल बदलना चाहे तब ना.मुद्दे तो हज़ार हैं.विपक्ष बीच -बाज़ार में ख़ड़ा कहां दिख रहा है.इनको तो मोदी के मार्ग पर ही चलना है.रथ पर सवार हो कर.मोदी की तर्ज़ पर रोड शो करते.राजनीतिक लड़ाई ज़मीन पर लड़ी जाती है.विपक्ष ज़मीन पर कहीं दिख नहीं रहा है.एक मज़बूत एकता बनाने की जगह दूसरे को नीचा दिखाने में जुटा है.ओवैसी को कहा जाता है कि आपका बिहार में आधार कहां है.चिंता इस बात की है कि राहुल गांधी के ट्रक पर कौन सवार होगा और कौन नहीं.पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव और कांग्रेस के फ़ायरब्रांड नेता कन्हैया को जिस तरह ट्रक पर चढ़ने नहीं दिया गया,वह कौन सा एकता का संदेश है.वोटर वेरिफ़िकेशन को लेकर विपक्ष कितना चिंतित है सहज अंदाज़ा लगाया जा सकता है.

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