
SERAJ ANWAR/MANTHAN TODAY
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर है और इस बीच राज्य के मतदाताओं के लिए एक बड़ी राहत भरी ख़बर सामने आई है। चुनाव आयोग ने वर्ष 2003 की वोटर लिस्ट सार्वजनिक कर दी है, जिससे अब राज्य के लगभग 4.96 करोड़ मतदाता बिना किसी दस्तावेज़ के अपनी पहचान और मतदाता स्थिति की पुष्टि कर सकेंगे। यह क़दम खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगा जो अपने पुराने दस्तावेज़ खो चुके हैं या जिनके पास मतदाता पहचान पत्र की नई प्रति नहीं है।
क्या है 2003 की वोटर लिस्ट का महत्व ?
2003 की वोटर लिस्ट को आधार बनाकर मतदाता अपने पुराने रिकॉर्ड से अपने नाम, उम्र, पता और अन्य विवरणों का मिलान कर सकते हैं। इस सूची में दर्ज जानकारी को देखकर वे अपने वर्तमान रिकॉर्ड की पुष्टि कर सकते हैं और यदि कोई गलती हो, तो उसे सुधारने के लिए आवेदन कर सकते हैं। चुनाव आयोग का यह निर्णय पारदर्शिता बढ़ाने और मतदाता सूची में फर्जीवाड़े को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।

दस्तावेज़ की अनिवार्यता नहीं..
अब तक मतदाता सूची में नाम जुड़वाने या सुधार करवाने के लिए पहचान पत्र, पता प्रमाण आदि दस्तावेज देने पड़ते थे, लेकिन अब 2003 की सूची के आधार पर वेरिफिकेशन किया जा सकेगा। यदि किसी मतदाता का नाम उस सूची में है, तो वह बिना किसी अतिरिक्त दस्तावेज के अपनी जानकारी की पुष्टि कर सकता है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों और बुजुर्गों को सबसे अधिक लाभ मिलेगा, जिनके पास दस्तावेज उपलब्ध नहीं होते या जिनकी जानकारी सिस्टम में अपडेट नहीं होती।
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से सुविधा
चुनाव आयोग ने यह लिस्ट ऑनलाइन भी जारी की है, जिसे मतदाता अपने मोबाइल या कंप्यूटर से डाउनलोड कर सकते हैं। इसके साथ ही पंचायत कार्यालय, ब्लॉक ऑफिस, जिलाधिकारी कार्यालय और बीएलओ स्तर पर भी यह सूची उपलब्ध कराई गई है। इच्छुक व्यक्ति अपने नजदीकी बीएलओ से संपर्क कर इस सूची में अपना नाम देख सकते हैं।
कब तक कर सकेंगे वेरिफिकेशन?
मतदाता वेरिफिकेशन की प्रक्रिया अगले कुछ हफ्तों तक चलेगी, ताकि चुनाव की घोषणा से पहले अंतिम मतदाता सूची तैयार की जा सके। आयोग चाहता है कि अधिक से अधिक लोग इस प्रक्रिया में भाग लें और अपने रिकॉर्ड सही करवा लें, जिससे चुनाव में किसी भी मतदाता को मतदान से वंचित न रहना पड़े। चुनाव आयोग की यह पहल निश्चित रूप से एक स्वागतयोग्य कदम है, जिससे बिहार के लाखों मतदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी। 2003 की वोटर लिस्ट का उपयोग करके अब वेरिफिकेशन की प्रक्रिया अधिक सरल, तेज और दस्तावेज रहित हो गई है। इससे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता दोनों बढ़ेगी..।