
SERAJ ANWAR
वक्फ को लेकर बनाई गई संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी)की बैठक में तय हो गया है कि लोकसभा में पेश किया गया वक्फ बिल अब एक नए स्वरूप में फिर से लाया जाएगा.अब नए कलेवर में सामने आएगा वक्फ संशोधन बिल! जेपीसी ने मंजूर सत्तापक्ष के 14 संशोधन प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है.वक्फ संशोधन बिल में कुल 44 अलग अलग प्रावधान रखे गए थे, लेकिन जब बिल संसद की संयुक्त समिति के सामने आया तो सिर्फ सत्ता पक्ष के 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया. समिति की अगली बैठक बुधवार को होगी, जिसमें समिति की मसौदा रिपोर्ट को स्वीकार किया जाएगा.आज देर रात या कल तक समिति की ड्राफ्ट रिपोर्ट सभी सदस्यों को भेजी जाएगी.
- कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं पहले के बिल में , इसके निर्धारण का अधिकार ज़िला कलेक्टर को दिया गया था लेकिन कमेटी ने इसमें बदलाव करने की अनुशंसा की है. अब कलेक्टर की बजाय राज्य सरकार की ओर से नामित अधिकारी उसका फैसला करेगा.
- Waqf by user की परिभाषा को संशोधित किया गया है. अगर कोई ऐसी वक्फ प्रॉपर्टी है जो इस बिल के लागू होने के पहले रजिस्टर्ड है तो वह वक्फ प्रापर्टी ही रहेगी. वो प्रॉपर्टी भले वक्फ के तौर पर इस्तेमाल हो रही हो लेकिन वो पूरी या कुछ हिस्सा विवादित है या सरकारी प्रॉपर्टी है वो वक्फ की नहीं मानी जाएगी.
- वक्फ ट्रिब्यूनल में दो कि जगह तीन सदस्य होंगे, जिसमें अब एक इस्लामिक स्कॉलर नया जुड़ेगा. अभी तक वक्फ संशोधन बिल में ट्रिब्यूनल में दो सदस्य रखने की बात की गई थी.
- बिल में प्रावधान था कि राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में दो गैर मुस्लिम सदस्य होंगे. अब बदलाव करके पदेन सदस्यों को इससे अलग रखा गया है. इसका मतलब ये हुआ कि नामित सदस्यों में से दो सदस्यों का गैर मुस्लिम होना अनिवार्य होगा. यानि अब दो से ज्यादा सदस्य भी गैर-मुस्लिम हो सकते हैं. मतलब अगर पदेन सदस्यों में से कोई सदस्य गैर मुस्लिम होता है तो उसकी गिनती गैर-मुस्लिम में नहीं की जाएगी. इस तरह से अधिकतम चार गैर मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं.
- चेयरमैन और ज्वॉइंट सेक्रेटरी पदेन सदस्य होते हैं. इन दोनों में से कोई गैर मुस्लिम है तो इससे फर्क नहीं पड़ेगा. नामित सदस्यों में दो गैर मुस्लिम रखना अनिवार्य होगा.
- नया कानून Retrospective लागू नहीं होगा बशर्ते कि वक्फ संपत्ति पंजीकृत हो. यानी जो वक्फ संपत्तियां रजिस्टर्ड हैं, उन पर असर नहीं पड़ेगा लेकिन जो रजिस्टर्ड नहीं हैं उनके भविष्य का फैसला बिल में तय मानकों के हिसाब से होगा. पहले बिल में था कि जो भी वक्फ संपत्ति दान करता वो पांच साल से मुस्लिम धर्म का पालन करता हो.
- अब Practicing Muslim की परिभाषा ये कर दी गई है कि जो भी पांच साल से मुस्लिम धर्म का पालन कर रहा है वो demonstrative भी होना चाहिए कि वो पांच साल से Practicing & Demonstrative मुस्लिम है. यानि पांच साल से नमाज आदि पढ़ता हो, ये साबित करना होगा.
- 2- कमेटी की ओर से पास किए गए प्रस्ताव के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति, जो ये दावा करता है कि वह पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा है, उसे यह साबित भी करना होगा. इसके बाद ही वह अपनी संपत्ति को वक्फ में दे सकता है. शर्त ये है कि वह संपत्ति किसी तरह के विवाद में न हो, जबकि वक्फ संशोधन बिल में कहा गया था कि वक्फ को वही जमीन दान कर सकता है, जो पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हो. हालांकि, सूत्र इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि इस संसोधन प्रस्ताव को लाने का मकसद ऐसे मामलों में कमी लाने का है, जहां पर धर्म परिवर्तन करते ही संपत्ति वक्फ को दान करवा दी जाती है.
- वैसे तो कुल 14 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव मंजूर हुआ है, लेकिन ये कुछ अहम संशोधन है, जो बिल के मौजूदा प्रारूप में शामिल किए जाएंगे. हालांकि, इन संशोधनों को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बताए जा रहे हैं.