SERAJ ANWAR
बिहार के एक यूट्यूबर हर रोज़,हर घंटे सरकार गिराने में लगा है,सरकार है कि गिरती नहीं.अफ़वाहों का बाज़ार गरम है.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुराने बयान सोशल मीडिया पर वायरल किये जा रहे हैं.जनता गुमराह हो रही है सरकार अब गयी की तब गयी.नीतीश ने फिर पलटी मार दी?
नीतीश को हासिल क्या होगा?
हालांकि,पलटी मारने की कोई वजह नहीं है.मान लीजिए,जदयू का राजद से फिर मिलन हो जाता है,तो नीतीश कुमार को हासिल क्या होगा?बहुत होगा तो नीतीश कुमार मुख्यमंत्री ही रहेंगे?मुख्यमंत्री तो अभी भी हैं.इसके लिए गठबंधन बदलने की ज़रूरत क्या है?यदि नीतीश पलटी मारते हैं तो जदयू को केन्द्र सरकार से समर्थन वापस लेना होगा.ऐसे में पार्टी टूटने का ख़तरा है.नीतीश के किचन कैबिनेट में शामिल नेताओं पर भगवाकरण का आरोप है.वे लालू प्रसाद के साथ जाने पर सहमत होंगे,इसमें सौ प्रतिशत संदेह है?
गठबंधन पर असर नहीं पड़ने वाल;
जदयू के केन्द्र में समर्थन वापस लेने से NDA गठबंधन की सरकार पर अधिक असर नहीं पड़ने वाला है.जब तक चन्द्रा बाबू नायडू की पार्टी भी जदयू के साथ ही नरेन्द्र मोदी सरकार से अलग न हो जाये.जनता दल यूनाइटेड(जेडीयू) और तेलुगु देशम पार्टी(टीडीपी)के एक साथ समर्थन वापसी पर केन्द्र सरकार ख़तरे में पड़ सकती है और इंडिया गठबंधन की सरकार बनने की सम्भावना बढ़ सकती है.तब नीतीश कुमार मोल-भाव की स्तिथि में आ सकते हैं.उप-प्रधानमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री पद की सियासी सौदेबाज़ी की सम्भावना को पर लग सकता है.अब सिर्फ पीएम बनना ही नीतीश कुमार का चिरपरिचित सपना है और यह अभी दूर की कौड़ी है.
बे-लज़्ज़त गुनाह करने वालों में नहीं नीतीश;
नीतीश बेलज़्ज़त गुनाह करने वालों में से नहीं हैं.
फ़िलहाल,बिहार में गठबंधन बदलने की सम्भावना दूर-दूर तक नहीं है.आरिफ मोहम्मद खान के राजभवन में बैठने के बाद तो और भी नहीं.खान साहब को बीजेपी ने इन्हीं सम्भावित हालात से निपटने के लिए बिहार भेजा गया है.वह दिन लद गये जब नीतीश जा रहे थे हज भवन और पहुंच गये राजभवन.गठबंधन बदल कर अब तुरंत शपथ लेना नीतीश कुमार के बस में नहीं होगा.आरिफ मोहम्मद खान ऐसा होने नहीं देंगे.नीतीश के गठबंधन बदलने के पीछे जो तर्क जुटाया जा रहा है कि जदयू के कुछ सांसद बीजेपी के पाले में हैं.पार्टी टूटने के कगार पर है.इसमें ज़्यादा दम नहीं है.नीतीश के रहते पार्टी तोड़ने का दम अभी किसी में नहीं है.यह प्रयास कोई नया भी नहीं है.
‘सबहिं नचावत नीतीश गोसाईं’;
नीतीश की चुप्पी को भी पलटी मारने से जोड़ कर बताया जा रहा है.इन हालातों में नीतीश कुमार अक्सर ख़ामोश रह कर थाह नापते हैं,अपने नेताओं की राजनीति को भांपते हैं.नीतीश के बारे में कह सकते हैं’सबहिं नचावत नीतीश गोसाईं’.
अहम बात,राजद गठबंधन में रहते हुए नीतीश कुमार ने घोषणा कर दी थी कि अगला विधानसभा यानी 2025 का चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जायेगा.राजद गठबंधन में वापसी कर नीतीश विधानसभा चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ने को तैयार होंगे?क्या राजनीतिक जीवन के अंतिम पड़ाव में अपना नेतृत्व छोड़ना चाहेंगे?यदि यह सम्भव नहीं है तो फिर पलटी मारने की कोई वजह समझ में नहीं आती!
चुटकी;
एक विधायक जी ने दो दिन पूर्व पूछा बिहार में कुछ राजनीतिक उठापटक होने वाला है,कुछ यूट्यूबर शिद्दत से ख़बर चला रहे हैं.मैं ने कहा,जब तक समय मंथन पर ख़बर न चले,अफ़वाहों पर ध्यान न दें.
(लेखक समय मंथन के ग्रूप एडिटर हैं)