SERAJ ANWAR
देश के सबसे बड़े रणनीतिकार प्रशान्त कुमार से अपनी पार्टी नहीं संभल पा रही है.जन सुराज में इस्तीफ़ा की झड़ी लगी हुई है.सुबह में पूर्व केन्द्रीय मंत्री देवेन्द्र प्रसाद यादव ने कोर कमिटी से त्याग-पत्र दे दिया और शाम में पूर्व सांसद और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री डॉ.मोनाज़िर हसन ने कोर कमिटी से इस्तीफ़ा देने का मन बना लिया है.
उन्होंने ‘समय मंथन’ से कहा कि अपनी पूरी राजनीतिक जीवन में 125 सदस्यीय कोर कमिटी देखी है न कभी सुनी है.इस कमिटी को बढ़ा कर अब 151 सदस्यीय कर दिया गया है.पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि संस्थापक सदस्य के रूप में वह जन सुराज में बने रहेंगे.जंबो-जेट कोर कमिटी में बने रहना उनके लिए मुनासिब नहीं है.जन सुराज बनाने वालों में हम लोग रहे हैं और एक सदस्य के रूप में पार्टी में बने रहेंगे.
मालूम हो कि कोर कमिटी में वरीयता का ख़्याल नहीं रखने से वरिष्ठ नेताओं में भारी बेचैनी है.डॉ.मोनाज़िर हसन सरीखे क़द्दावर मुस्लिम नेता को कोर कमिटी की सूची में 20वें नम्बर पर रखा गया.जबकि कोई ग़ुलाम जिलानी को वारसी,प्रो.सरफ़राज खान,अब्बास अहमद जैसे लोगों को इनके उपर रखा गया है.राजनीति में पˈलिटिक्ल् कैरियर,क़द,सम्मान का ख़्याल ज़रूर रखा जाता है.ऐसा लगता है जन सुराज दिग्गज नेताओं के लिए सम्मानित जगह नहीं है.समय मंथन ने लिखा था कि घुटन महसूस कर रहे तीन दर्जन नेता कोर कमिटी छोड़ सकते हैं.यह सिलसिला शुरू हो गया है.
डॉ.मोनाज़िर हसन का मुसलमानों और अन्य समुदाय में असर और सम्मान है.देवेन्द्र यादव और मोनाज़िर हसन के कोर कमिटी छोड़ देने से जन सुराज का बनता एक मज़बूत स्तम्भ माय (मुस्लिम-यादव)टूट जायेगा.जन सुराज मुसलमान के पिलर पर खड़ी है.पीके के स्वजातीय और अन्य सवर्ण जातियों का सपोर्ट नहीं है.बेलागंज उपचुनाव में यह साफ़ दिख चुका है.ख़ूब ख़ाक छानने के बाद भी मुसलमानों को छोड़ किसी पार्टी का मोहम्मद अमजद को वोट नहीं मिला.मुसलमान माइनस मतलब जन सुराज का सूरज अस्त.