सदाक़त आश्रम में पहली बार मौलाना आज़ाद को मिला सम्मान

PATNA:

बिहार में मौलाना आज़ाद की शख़्सियत को जितना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीवंत किया है,उतना कांग्रेस ने नहीं किया.कई मौक़ों पर कांग्रेस ने मौलाना आज़ाद को फ़रामोश कर दिया.लेकिन,आज पहली बार कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग ने सदाक़त आश्रम में देश के प्रथम शिक्षा मंत्री भारतरत्न मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती पर उन्हें न सिर्फ़ सम्मानजनक ढंग से याद किया बल्कि उनकी शख़्सियत से लोगों को रूबरू कराया.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह मौलाना आज़ाद को खराज ए अक़ीदत पेश करते

इस कार्यक्रम के लिए अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष उमैर खान की पहल सराहनीय है,जिनकी वजह से पहली बार सदाक़त आश्रम में मौलाना आज़ाद पर बेहतरीन सेमिनार का आयोजन हो सका.कार्यक्रम में प्रसिद्ध इतिहासकार ख़ुदाबख़्श लाइब्रेरी के पूर्व चेयरमैन प्रो.इम्तियाज़ अहमद और प्रोफेसर रतनलाल को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था.इनके अलावा प्रभारी सचिव बिहार शाहनवाज आलम, पार्टी विधायक दल के नेता शकील अहमद खान,विधायक इजहार आलम ,कांग्रेस महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष सरवत जहां भी शामिल हुईं.कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने की.

कार्यक्रम में बिहार भर से शामिल लोग

कार्यक्रम में विभिन्न जिलों से आए कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के साथियों का शुक्रिया अदा करते हुए उमैर खान ने कहा कि
भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में अनेक सपूतों ने अपना योगदान दिया है इनके संयुक्त प्रयास से ही हमारा देश 15 अगस्त 1947 में आजाद हो पाया.इस दौरान विविध प्रकार की रूकावटें भी आई.जिनमें विदेशी शासन और भारत का वर्गीय विभाजन सबसे बड़ी रूकावटें थीं.भारत के स्वतंत्रता संघर्ष हमारे अनेक नेता वर्गीय विभाजन की राजनीति के शिकार हो गए थे.परन्तु कुछ भारत के सपूत ऐसे भी थे, जिन्होंने राष्ट्रवाद का एक ऐसा सर्वागीण रूप प्रस्तुत किया, जिसने भारत के वर्गीय विभाजन को ढाँप लिया और देश स्वतंत्रता के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहा.भारत के ऐसे ही एक सपूत मौलाना मोहिउद्दीन कलाम आजाद थे

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