जदयू के मुसलमान. . .

PATNA:

SERAJ Anwar

जितनी शिद्दत से जदयू के मुसलमान अपने समुदाय से वोट मांगते हैं,उतनी ही शिद्दत से अपने नेता नीतीश कुमार से मुसलमानों के जज़्बात,उनके ख़्यालात से आगाह क्यों नहीं कराते?


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज बेलागंज में हैं,मनोरमा देवी के लिए वोट मांगा.बेला में जदयू के मुसलमानों का मेला लगा हुआ है.किस-किस का नाम लें.अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ज़मा खान,एमएलसी प्रो.ग़ुलाम गौस,डॉ.ख़ालिद अनवर,पूर्व एमएलसी मौलाना ग़ुलाम रसूल बलयावी,सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन मोहम्मद इरशादुल्लाह,मदरसा बोर्ड के पूर्व चेयरमैन सलीम परवेज़,मौलाना उमर नुरानी,प्रदेश महासचिव मेजर इक़बाल हैदर खान,अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अशरफ़ अंसारी,गया जदयू के नेता इक़बाल हुसैन,मुस्तकीम रंगरेज़,अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के पूर्व उपाध्यक्ष ग़ुलाम गौस राईन,आरए दानिश आदि दर्जनों लोग हफ़्तों से जमे हुए हैं.मुसलमानों से जदयू प्रत्याशी मनोरमा को जिताने की अपील कर रहे हैं.हरेक चुनाव में जदयू के मुस्लिम नेता पार्टी प्रत्याशी को जिताने के लिए जी-जान लगा देते हैं.दीगर बात है,जीतने के बाद कुछ लोग कहते हैं मुसलमानों ने वोट नहीं दिया.इसलिए मुसलमानों का काम नहीं करेंगे.

मुसलमानों के जज़्बात,उनके ख़्यालात से आगाह क्यों नहीं कराते?

लेकिन,एक सवाल है,जितनी शिद्दत से जदयू के मुसलमान अपने समुदाय से वोट मांगते हैं,उतनी ही शिद्दत से अपने नेता नीतीश कुमार से मुसलमानों के जज़्बात,उनके ख़्यालात से आगाह क्यों नहीं कराते.अभी देश की राजनीति वक़्फ को लेकर गरमायी हुई है.चंद्राबाबू नायडू ने वक़्फ संशोधन बिल पर मुसलमानों का साथ देने का वादा किया है.3 नवम्बर को दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित जमीयत उलेमा ए हिंद के संविधान संरक्षण सम्मेलन में नायडू ने टीडीपी के उपाध्यक्ष नवाब जान को अपना नुमाइंदा बना कर भेजा था.मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि
“अगर मुसलमानों की भावनाओं को नज़रअंदाज़ करके वक्फ विधेयक पारित किया जाता है तो यह केंद्र में अन्य शक्तियों की तरह ही बैसाखी (नीतीश-नायडू) की भी ज़िम्मेदारी होगी.”जमीयत ने इस महीने के 24 तारीख़ को पटना के बापू सभागार में दिल्ली की तर्ज़ पर ही मुसलमानों की एक सभा आयोजित करने की की घोषणा की है, जहां वे वक़्फ पर मुस्लिम समुदाय की चिंताओं और भावनाओं को विस्तार से पेश करेंगे.मदनी ने कहा कि वक्फ की स्थापना हमारे पूर्वजों ने की है और यह अल्लाह के स्वामित्व का हिस्सा है, जिस पर मस्जिदें बनी हैं.

यह वही कार्ड है जिसमें नीतीश कुमार का नाम मुख्यअतिथि के बतौर है

जमीयत के कार्ड में मुख्यमंत्री का नाम मगर आयेंगे नहीं?

सम्मेलन की तैयारी तेज़ी पर है.इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी बुलाया गया है.मज़ेदार बात यह है कि मुख्यमंत्री का नाम मेहमान ए खुसुसी(मुख्य अतिथि)के नाम पर भी छप गया.कार्ड बंटता उससे पहले ख़बर मिली की मुख्यमंत्री इसमें शामिल नहीं हो सकते.अपने ही गठबंधन सरकार के ख़िलाफ़ कैसे जा सकते हैं.ज़ाहिर सी बात है मंच पर रहते हुए वक़्फ संशोधन बिल पर केन्द्र सरकार के ख़िलाफ़ ही बात जाएगी.मतलब साफ़ है जदयू वक़्फ संशोधन बिल के समर्थन में हैं.हालांकि,मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई मौक़ों पर कह चुके हैं कि वह मुसलमानों के साथ हैं.हुआ यूं कि मुख्यमंत्री से कनसन लिए बेग़ैर जमीयत की बिहार इकाई ने उनका नाम छाप दिया(कार्ड में देख सकते हैं)दरअसल,जदयू के कुछ खैरखाह मुस्लिम नेताओं ने मुख्यमंत्री को बुलाने का वादा कर नाम कार्ड में डलवा दिया.इसी आधार पर दिल्ली के सम्मेलन में मौलाना अरशद मदनी ने बापू सभागार की सभा में नीतीश के शामिल होने का एलान भी कर दिया था.

जमीयत उलेमा का सम्मेलन का पोस्टर

मुस्लिम नेता सिर्फ वोट मांगने के लिए हैं?

उर्दू में दस हज़ार कार्ड छपे हैं.सबको डम्प कर दिया गया है.अब दूसरा कार्ड छप रहा है.नीतीश ने आने से इनकार कर दिया है.आज की तारीख़ तक आयोजकों के पास मुख्यमंत्री के सम्मेलन में शामिल होने की विधिवत कोई सूचना नहीं है.हालांकि,मुख्यमंत्री के मिज़ाज (मुस्लिम मामलों में)को समझते जमीयत आज भी उम्मीद लगाये बैठा है कि मुख्यमंत्री उनकी सभा में आ सकते हैं.बहरहाल,जदयू के मुस्लिम नेता सिर्फ मुसलमानों से वोट मांगने के लिए हैं या नीतीश कुमार से भी कुछ मांग सकते हैं.बेशक,नीतीश कुमार ने मुसलमानों के लिए बहुत कुछ किया.कल यानी 11 नवम्बर को मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती पर पटना बेली रोड में देश के पहले शिक्षा मंत्री भारतरत्न मौलाना अबुल कलाम आज़ाद स्मृति स्मारक पार्क का लोकार्पण करने जा रहे हैं.

वक़्फ संशोधन बिल भारतीय मुसलमानों के लिए डू एंड डाई का मामला

यह सब ठीक है मगर जहां जदयू को स्टैंड लेना चाहिए वहां धोखा दे देती है.सीएए में क्या हुआ.राज्यसभा में समर्थन में वोट कर दिया.उस वक़्त कहा गया कि आरसीपी सिंह ने गुमराह कर दिया.आज आरसीपी सिंह पार्टी में नहीं है तो मुख्यमंत्री को कौन गुमराह कर रहा है?वक़्फ संशोधन बिल भारतीय मुसलमानों के लिए डू एंड डाई का मामला है.यह बिल पारित हो जाता है तो क़ब्रिस्तान से लेकर मस्जिद तक का वजूद ख़तरे में पड़ जायेगा.कल तरारी में नीतीश कुमार ने कहा 8000 से अधिक हमने क़ब्रिस्तानों की घेराबंदी कराई,बेशक कराई,इससे इनकार कहां है.लेकिन,वक़्फ संशोधन बिल पास हो जाता है तो ये क़ब्रिस्तान सुरक्षित रह जायेंगे,इसकी गारंटी कौन देगा?नीतीश कुमार सुशासन की बात करते हैं,न्याय की बात करते हैं.शायद जदयू के मुस्लिम नेता ही उन्हें समुदाय के बेसिक प्रॉब्लम से अवगत नहीं करा पाते.यदि वक़्फ संशोधन बिल पर मुख्यमंत्री को मुसलमानों की भावनाओं से अवगत करा दिये होते तो बेलागंज में मनोरमा केलिए इतना पसीना बहाना पड़ता.मुस्लिम नेता जितनी शिद्दत से वोट मांगते हैं उतनी शिद्दत से मुस्लिम विरोधी क़ानून बनते समय पार्टी पर दबाव बनायें.देश क़ानून से चलता है,क़ानून यदि आपके विरुद्ध है तो विकास का कोई मायने नहीं,सब धराशायी हो जायेगा,हुआ है?
(लेखक समय मंथन के ग्रूप एडिटर हैं)

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